क्राइम रिफॉर्मर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संदीप कटारिया ने बताया कि नए साल 2020 का आगाज हो गया है। पिछले साल देश ने आतंकी हमले, हिंसक प्रदर्षन और आर्थिक सुस्ती समेत अनेक मोर्चें पर कठिन स्थितियों का सामना किया। अब नए वर्श में भी सरकार के सामने कई चुनौतियां हैं, जिनका डटकर मुकाबला करना है। सबसे बड़ी चुनौती अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की है। वैष्विक मंदी के असर से देश की जीड़ीपी दर घटकर 4.5 फीसदी पर आ गई है। 2020 में अमेरिका और चीन के बीच जारी टेªड वार के बादल छंटने के आसार हैं। दोनों मुल्क इस माह 15 जनवरी तक ट्रेड समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे। इससे वैष्विक अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी, ट्रेड वार खत्म होने से भारत को भी फायदा होगा। भारतीय अर्थव्यवस्था रिकवर हो रही है। इसके संकेत मिलने लगे हैं। जीएसटी कलेक्षन ने लगातार दूसरे माह एक लाख करोड़ रूपये को पार किया है। मारूति कंपनी की बिक्री बढ़ी है, दूसरी ऑटो कंपनियों की बिक्री भी बढ़ रही है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक दिन पहले ही अगले पांच साल में इन्फ्रास्ट्रक्चर पर एक लाख करोड़ रूपये खर्च करने की योजना का ऐलान किया है। एक माह बाद एक फरवरी को आम बजट पेश होना है, जिसमें अर्थव्यवस्था में सुधार के रोडमैप की घोशणा की उम्मीद है। सरकार जीएसटी की विसंगतियों को भी दूर करेगी। आयकर सीमा छूट बढ़ने की उम्मीद है। सरकार के सामने राजकोशीय घाटा थामने, खाद्य महंगाई पर अंकुष लगाने, निर्यात बढ़ाने और नए सरकारी व निजी निवेश बढ़ाने की चुनौती होगी। ग्लोबल टेªड में भागीदारी बढ़ाने के लिए चीन, रूस, अमेरिका, यूरोप के साथ पष्चिम व पूर्वी एशिया तथा अफ्रीकी देशों में भारत को नई संभावनाएं तलाषनी होंगी। भारत द्विपक्षीय व बहुपक्षीय व्यापार समझौते से अपने ग्लोबल ट्रेड को गति देगा। आरईसीपी पर हस्ताक्षर से पहले उसके नकारात्मक पक्ष को आंकने की चुनौती भी होगी। इस वर्श भारत, अमेरिका, जापान व ऑस्ट्रेलिया के बीच चतुश्पक्षीय समझौता देखने को मिल सकता है। भारत के सामने अपनी धारदार कूटनीति को आगे बढ़ाने की चुनौती होगी, जिसमें भारत का महत्व वैष्विक स्तर पर बढ़े। भारत को सऊदी अरब को साधने पर ध्यान देना होगा, पाक की तरह उसका झुकाव भारतीय कूटनीति के लिए ठीक नहीं है। भारत के सामने अमेरिका, चीन व रूस के साथ शाक्ति संतुलन बनाकर रखने की भी चुनौती होगी। हिंद-प्रषांत सागरीय क्षेत्र में चीनी आधिपत्य को रोकने की चुनौती भी होगी। देश को सीमाई सुरक्षा के लिए अपने पड़ोसी देशों से मधुर संबंध पर भी ध्यान देना होगा। चीन, पाक, नेपाल, भूटान, म्यांमार, बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव आदि देशों के साथ संबंध बेहतर बनाने की कोशिश जारी रखनी होगी। बिम्सटेक, आसियान व पूर्वी एशियाई देशों के साथ संबंध को और मजबूत करने होंगे। पाक सीमा पर शांति, कष्मीर से आतंकवाद का खात्मा, चीन सीमा पर शांति व चीन के साथ सीमा समझौता को अमली जामा पहनाने की चुनौती होगी। देश को नया चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ और थल सेना प्रमुख मिला है। नए सीडीएस जनरल बिपिन रावत के सामने तीनों सेनाओं में समन्वय कायम करने की चुनौती होगी। नए सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे के सामने पाकिस्तान सीमा पर आतंकवाद के खात्मे व चीन सीमा पर शांति बरकरार रखने की चुनौती होगी। इसरो ने साल के पहले दिन ही गगनयान व चंद्रयान-3 की योजना का ऐलान किया है, उसके सामने इसे सफल बनाने की चुनौती होगी। एनआरसी, सीएए और एनपीआर पर असंतुश्टों को जीतने की चुनौती सरकार पर होगी। कश्मीर में राजनीतिक स्थिरता बहाल किया जाना जरूरी है। सरकार को विभाजनकारी शक्तियों से भी निपटना जारी रखना होगा। राजनीति के चलते खट्टे हो रहे केंद्र-राज्य संबंधों को भी सौहार्दपूर्ण बनाने की चुनौती केंद्र सरकार के सामने होगी। सबसे बड़ी बात कि देश में शांति रहे, ताकि हम विकास की ओर अग्रसर रहें।
नए साल में विकास, शाति व सुरक्षा की चुनौतियां - डॉ. संदीप कटारिया