यह सच है कि जो खाना हम खाते हैं वह हमारे शरीर, हड्डियों, दांतों व मसूड़ों को पोषण प्रदान करता है तथा संक्रमणों व रोगों से लड़ने और ऊतकों को नया करने में मददगार होता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 2018 में जारी की गई 'फैक्टशीट ऑन डाइट एंड ओरल हैल्थ' के मुताबिक अस्वास्थ्यकर खुराक और खराब पोषण दांतों व जबड़ों के विकास को कुप्रभावित करता है और इसका दुष्प्रभाव जीवन के बाद के वर्षों में भी रहता है। जीवन के आरंभिक वर्षों में जो आहार बच्चों को मिलता है उससे उनके शारीरिक व संज्ञानात्मक विकास में मदद मिलती है। परिणास्वरूप इससे उनके ओरल व संपूर्ण स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है। विशेषज्ञों के अनुसार असंतुलित आहार में बहुत सारे कार्बाेहाइड्रेट, शुगर व स्टार्च होता है जिससे दांतों में कैविटीज और दंत क्षय जैसी मुंह की बीमारियां पनपती हैं, जिससे बच्चों के समग्र स्वास्थ्य पर और ज्यादा दुष्प्रभाव होता है।
क्लोव डेंटल की डॉक्टर प्रियंका माथुर का कहना है, 'आहार और पोषण का मुंह पर बहुत अहम असर होता है। अत्यधिक शुगर वाले खाद्य पदार्थों से ऐसिड बनता है जो दांतों के ऐनामल पर असर करता है और जिससे दंत क्षय होता है। दांतों की समस्याएं न सिर्फ ओरल कैविटी को प्रभावित करती हैं बल्कि ये बच्चों के संपूर्ण विकास पर भी व्यापक असर डालती हैं।'
मुंह के स्वास्थ्य की स्थिति, खानपान की आदत, पोषण का स्तर और सामान्य स्वास्थ्य के बीच में काफी पेचीदा संबंध है और इन्हें परस्पर जोड़ने वाले कई कारक होते हैं। अगर मौखिक स्वास्थ्य ठीक नहीं है तो उससे भोजन के विकल्प चुनने में बदलाव आता है और खानपान पर नकारात्मक असर पड़ता है जिससे पोषण का स्तर घटता है और चलकर क्रोनिक सिस्टेमिक रोगों की स्थिति बनती है। नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉरमेशन, यूएसए के मुताबिक मौखिक एवं पोषण संबंधी समस्याओं को पहचानना और उनका उपचार करना स्वास्थ्य एवं जीवन गुणवत्ता सुधारने के लिए बेहद अहम है।
क्लोव डेंटल के चीफ क्लीनिकल ऑफिसर डॉक्टर विमल अरोड़ा कहते हैं, 'मौखिक स्वास्थ्य से संपूर्ण स्वास्थ्य व कल्याण का रास्ता खुलता है। यह न केवल बच्चे के विकास को बल्कि उसके आत्म विश्वास को भी प्रभावित करता है। बच्चों के दांत खराब होंगे तो वे खुद को कमतर समझेंगे, शर्मिंदा और नाखुश होंगे। संतुलित व पौष्टिक आहार सर्वश्रेष्ठ तरीका है बढ़िया मौखिक स्वास्थ्य पाने और भविष्य में होने वाली परेशानियों को रोकने का।'
सेहतमंद दांतों के लिए जरूरी पोषक तत्त्व
सेहतमंद दांतों के लिए कम उम्र से ही स्वास्थ्यकर पोषण बेहद अहम है। माता-पिता को अपने बच्चों की खानपान की आदतों पर ध्यान देना चाहिए और खानपान की अच्छी आदतें उन्हें सिखानी चाहिए। कैल्शियम से भरपूर चीजें (जैसे लो-फैट मिल्क, दही, चीज, बादाम), हरी पत्तेदार सब्जियां व अन्य ऐसे ही स्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थ दांतों व हड्डियोंको मजबूत करते हैं इसलिए इन्हें बच्चों के आहार में बढ़ावा दिया जाना चाहिए। अंडे, मछली, हल्का मांस व डेयरी उत्पाद फॉस्फोरस से भरपूर होते हैं जो कि मजबूत दातों के लिए लाभकारी होता है। माता-पिता को बच्चों के आहार में विटामिन सी से भरपूर चीजें शामिल करनी चाहिए जो कि मसूड़ों को मजबूती देने में सहायक हैं।
सही मात्र में फ्रलोराइड होने से दंत क्षय की रोकथाम में मदद मिलती है, यद्यपि फ्रलोराइड की मात्र बढ़ने से दांतों में भूरे धब्बे आ जाते हैं जो शर्मिंदगी की वजह बनते हैं। इसी प्रकार अन्य विटामिनों एवं खनिजों की कमी दांतों व हड्डियोंदोनों के ही विकास पर असर करती है और उनका रूप बिगड़ जाता है।
कोमल और चिपकने वाले खाद्य पदार्थ मसूड़ों की बीमारियों की शुरुआत करते हैं, इनकी वजह से बाद में चलकर मसूड़ों से खून निकलने लगता है। खराब खानपान की वजह से बचपन में ही दांत खराब हो जाते हैं, चबाने का उकसाव ठीक से नहीं होता जिससे जबड़ा छोटा रह जाता है और बेडौल दांत विकसित होते हैं। बच्चों को ऐसा भोजन दीजिए जिसे उन्हें अच्छे से चबाना पड़े इससे उनके दांते बेडौल नहीं होंगे और उनके मसूड़ों,हड्डियों व जबड़ों का भी अच्छी तरह से विकास होगा।
यह सच है कि जो खाना हम खाते हैं वह हमारे शरीर, हड्डियों, दांतों व मसूड़ों को पोषण प्रदान करता है तथा संक्रमणों व रोगों से लड़ने और ऊतकों को नया करने में मददगार होता है। डॉक्टरों का कहना है कि मन व शरीर को विकसित करने के लिए बचपन सर्वश्रेष्ठ अवस्था है इसलिए उन्हें खानपान की अच्छी आदतें सिखाकर सही दिशा में आगे बढ़ाइए। बचपन से ही स्वास्थ्यकर आहार और जीवनशैली को प्रोत्साहन देने में माता-पिता की प्रमुख भूमिका होती है। इससे बच्चों को खानपान की स्वास्थ्यवर्धक आदतें अपनाने में मदद मिलती है जिसके फलस्वरूप उनका मौखिक स्वास्थ्य अच्छा रहता है।